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घडिय़ालों से गुलजार हुआ सीधी का सोन अभ्यारण132 हुई बच्चों की संख्या, 44 साल पहले हुआ था शुरू

प्रवेश कुमार शुक्ला सीधी। जिले के सोन घडिय़ाल अभ्यारण में घडिय़ालों का कुनबा बढऩे की अच्छी खबर सामने आने से विभागीय अमले में भी काफी खुशी है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण जोगदह इन दिनों घडिय़ालों के बच्चों से गुलजार है। 132 घडिय़ालों के पैदा होने से विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों और जिले के लोगों में खुशी की लहर है। यह पहली बार हुआ है, जब इतनी संख्या में घडिय़ालों के बच्चे हुए हैं। अब सोन घडिय़ाल अभ्यारण अमला उनकी देखरेख एवं सुरक्षा-व्यवस्था में जुटा हुआ है।
बताते चलें कि वर्ष 1981 में सीधी जिले के सोननदी के जोगदहा में सोन घडिय़ाल अभ्यारण बनाया गया, जहां मगर व घडिय़ालों को लाकर रखा गया। शुरुआती दौर के परिश्रम के बाद विभाग को सफलता मिलती रही, लेकिन बाद में घडिय़ालों की संख्या बढ़ाना और उन्हें बचाना एक चुनौती सा हो गया। वर्ष 2021 में दो नर घडिय़ालों की मौत हो गई। इसके बाद यहां नर घडिय़ालो की संख्या ना के बराबर रही। बाद में चंबल से एक नर घडिय़ाल सीधी लाया गया, इसके बाद पांच मादा घडिय़ालों से 132 बच्चे पैदा हुए हैं। घडिय़ाल विलुप्त होती प्रजाति है, जिसे बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है। अनुपात में जन्म के बाद कुल संख्या में दो प्रतिशत ही घडिय़ाल के बच्चे बच पाते हैं। जहां हेचरी की सुविधा है, वहां उनके बचने की संख्या ज्यादा होती है। चंबल क्षेत्र में यह सुविधा उपलब्ध है। अंडे से बाहर आने के बाद बच्चों को हैचरी में रखा जाता है और फिर उन्हें बड़े होने पर छोड़ दिया जाता है।
सीधी जिले में बने सोन घडिय़ाल अभ्यारण में अभी तक हैचरी की सुविधा नहीं हो पाई है, जिसके चलते घडिय़ालों के बच्चों को बचाना चुनौती रहता है। आगामी समय में यहां भी हेचरी की सुविधा उपलब्ध होगी और घडिय़ालों से होने वाले बच्चों को बचाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।

इस प्रकार हैं जलीय जीवों की संख्या-सोन घडिय़ाल अभ्यारण में घडिय़ालों की संख्या 38 है तो वहीं मगरमच्छ की संख्या 74 बताई गई है। स्कीमर की संख्या 41 है, इसके अलावा 49 प्रकार के पक्षी हैं, जिनकी संख्या 4015 होना बताया गया है। इसमें खास बात यह है कि घडिय़ालों की संख्या 38 है, जो बच्चों को छोडक़र है। कारण यह कि अभी घडिय़ालों के बच्चों में नर और मादा को पहचानना काफी कठिन होता है। कई माह बाद ही इन्हें नर व मादा के रूप में पहचाना जा सकता है। ऐसे में अभी तक जिन नर और मादा घडिय़ालों की पहचान हुई है, उनकी संख्या 38 बताई गई है।
बिहार गया नर घडिय़ाल नहीं आया वापस-सोन घडिय़ाल अभ्यारण से एक नर घडिय़ाल पानी के बहाव में बिहार चला गया था, जिसके शरीर में चिप लगी होने के कारण उसकी लोकेशन भी मिली। विभाग ने जब बिहार सरकार से बात की तो साफ तौर पर घडिय़ाल को वापस देने के लिए मना कर दिया गया और स्थिति यह है कि काफी प्रयास के बावजूद आज भी सीधी का नर घडिय़ाल बिहार में है। इसे वापस नहीं लाया जा सका और अब संभावना भी ना के बराबर है। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बिहार सरकार से भी बात की, इसके बाद भी बात नहीं बनी और स्थिति वही पुरानी बनी हुई है।
विभाग के लिए हैं खुशी की बात: राजीव-सोन घडिय़ाल अभ्यारण के एसडीओ राजीव मिश्रा ने बताया कि 5 मादा घडिय़ालों से 132 बच्चे पैदा हुए हैं, यह विभाग के लिए खुशी की बात है, उनकी सुरक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं एवं आने वाले दिनों में और भी नर घडिय़ाल चंबल लाए जाएंगे। इससे यहां घडिय़ालों की संख्या में और वृद्धि हो सके। सोन घडिय़ाल अभ्यारण में इन दिनों घडिय़ाल व मगर की संख्या पर्याप्त है। प्रयास रहेगा कि आगामी दिनों में यहां हैचरी की सुविधा उपलब्ध हो और घडिय़ालों से जन्म लेने वाले बच्चों को सुरक्षित हेचरी में रख करके बड़ा किया जाए। ऐसा होने से सोन घडिय़ाल अभ्यारण में घडिय़ालों की संख्या काफी बढ़ जाएगी।

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