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जेहादी हिंसा पर कार्यवाही हेतु महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौपा ज्ञापन

करेली। पश्चिम बंगाल में चुनाव उपरांत जेहादी हिंसा पर त्वरित कार्यवाही हेतु महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम ज्ञापन जिलाधीश नरसिंहपुर को विनोद नेमा हरगोविन्द शर्मा संध्या कोठारी राकेश सोनी संतश्री अमृतानंद, डा० पंकज विश्वास संजय गुप्ता राकेश सोनी एवं अन्य प्रबुद्ध जनों ने सौपकर मांग की है कि माननीय महामहिम जी हम जिले के प्रबुद्ध नागरिक तथा विभिन्न समाजों के प्रमुख आपके समक्ष पश्चिम बंगाल में चुनाव उपरांत हो रही जेहादी हिंसा के विषय में ध्यानाकर्षण हेतु यह ज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में स्वतंत्रता के पूर्व से ही सरकारों का चयन होता रहा है। राजनैतिक मतभेद, आरोप प्रत्यारोपित, रैलियाँ, समाएं सब एक स्वस्थ परंपरा के अनुरूप होती रही है। विगत 70 वर्षों में केन्द्र से लेकर राज्य ग्राम पंचायतों तक के चुनाव कुछ अपवादों को छोड़कर शांतिपूर्ण ही रहे हैं। अपवादों में केरल, बिहार व पश्चिम बंगाल विशेष उल्लेखनीय रहे है जहाँ चुनाव से पूर्व चुनाव के दौरान व बाद तथा राजनीतिक हिंसा का इतिहास रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान तथा उपरांत हुई हिंसा में पिछले सभी प्रतिमानों को ध्वस्त करते हुए एक भयावह रूप ग्रहण कर लिया है। चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद आरम्भ हुई यह हिंसा अबतक निरंतर जारी है। पहले सप्ताह में ही 3000 से अधिक गांवों में हिंसक घटनाएं हुई हैं। जिनमें 70,000 लोग प्रभावित हुए हैं। 3886 मकान, दुकान को क्षति पहुंची है। अनेक मकान तो बुलडोजर से ध्वस्त कर दिये गये। तृणमूल कांग्रेस के जेहादी गुण्डों ने 39 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया, इनमें से केवल 4 के साथ बलात्कार की पुष्टि हो पाई है क्योंकि शेष की पुलिस ने मेडिकल जांच कराने से ही इंकार कर दिया। केवल सताधारी पार्टी के विरोध में काम करने के अपराध में 2157 कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं। इन कार्यकर्ताओं के 692 परिजनों पर भी प्राणघातक हमले हुए हैं। 23 की हत्या अब तक दर्ज हुई है। इनमें से 11 एकदम निर्धन तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के है व 3 महिलाएं हैं। अपने व परिवार की सुरक्षा के लिए 6779 कार्यकर्ता अभी बंगाल में ही अपना गांव घर छोड़ कर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। 1800 से अधिक कार्यकर्ता असम में शरण लेने को विवश हुए इस सब घटनाओं में सबसे दुखद व चिंताजनक है इसका लक्षित व साम्प्रदायिक स्वरूप बंगाल की इन घटनाओं में हुई इस हिंसा के पीछे केवल राजनैतिक पक्ष विपक्ष ही एकमात्र कारण नहीं है। हिंसक भीड़ द्वारा लगाये गये साम्प्रदायिक नारों से इन हमलों की प्रकृति एकदम स्पष्ट हो जाती है। जनसंख्या असंतुलन और जेहादी मानसिकता के कारण उपजी अलगाववादी मानसिकता व वृहद बांग्लादेश जैसी देश विरोधी सोच इसके मूल में स्पष्ट दिखाई देती है। बांग्लादेशी घुसपैठियों व रोहिंग्या शरणार्थियों की सक्रियता खतरनाक भविष्य की ओर संकेत कर रहे हैं। हिंसा को सत्ता धारी दल व प्रशासन का समर्थनरू चुनाव के दौरान ही अनेक घटनाओं में प्रशासन व पुलिस का पक्षपाती रवैया स्पष्ट ही दिखाई दे रहा था। किंतु परिणाम घोषित होने के बाद जेहादी भीड़ के द्वारा हो रही हिंसक हमलो पर पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखता रहा। घटनाओं की एफ आई आर दर्ज करने में आनाकानी करता रहा। फरियादी का मेडिकल कराने से साफ इंकार कर दिया। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य के राज्यपाल को स्वयं जनता के बीच जाकर उसकी पीडा सुनने की आवश्यकता पड़ी हो। यही नहीं राज्यपाल महोदय को ही स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के असहयोग व रोकटोक का सामना करना पड़ा हो। उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम आपसे निवेदन करते हैं कि भारत की अखण्डता व सम्प्रभुता को खतरे में डालने वाले इस घटनाक्रम पर स्वतः संज्ञान में लें। इस ज्ञापन के माध्यम से आपसे यह निवेदन करते हैं कि आप पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत निर्देशित करे कि वह राज्य सरकार को पीड़ित लोगों की भावनाओं से अवगत करावे। अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग कर प्रदेश सरकार को निर्देशित करें कि वह दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करें। प्रभावित लोगों को शीघ्र न्याय दिलवाने के कार्य के साथ उचित मुआवजे की भी व्यवस्था करें। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इस हेतु शीघ्र कठोर कदम उठाएं।

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