संपादकीय/लेख/आलेख
शिकायत
तुझसे शिकायत अब नहीँ करनी।
एक ही गलती दोबारा नहीँ करनी।चला जाऊँगा तुझ से दूर अब आँखों
से आँसूओ की बारिश नहीँ करनी।नज़र अंदाज़ हुई हमारी हर बात अब
तुझे समझाने की कोशिस नहीँ करनी।अपनी सफ़ाई में केहना तो बहोत कुछ
था लेकिन शब्दोंसे शुरुआत नहीँ करनी।निकल गया उस मोहल्ले से दूर अब
बेवफ़ा लोगों से मुलाकात नहीँ करनी।हमारा भरोसा हमें ही दग़ा दे गया
अब ज़िंदगी से मुलाकात नहीँ करनी।मंज़िल का तो पता नही लेकिन इस
शहर से दिल्लगी अब नहीँ करनी।