मध्य प्रदेशसंपादकीय/लेख/आलेख
मेरे पापा
मेरे पापा
गर्मी में चिलचिलाती धूप में
पेड़ो की शीतल छाँव हा पापा !
माँ अगर घरती का रूप है तो
आसमान से विशाल है पापा !
बच्चों की खुशियाँ के लिए
धरती-आसमान एक कर जाते है पापा !
खुद के हर दुखों को सहकर
परिवार को हर दुखों से बचाते है पापा !
अपने आप को कठोर दिखाकर
मोम की तरह पिघल जाते है पापा !
पढ़ों चाहे कितनी भी किताबे
पर दुनिया का सारा ज्ञान सिखाते है पापा !
बच्चों के मान सम्मान अभिमान है पापा
हर कठिन प्रश्न का जबाब है पापा !
खुद आग में लोहे की तरह तपकर
बच्चों को हीरा सा तरास्ते है पापा !
लेखिका/ रचनाकार
श्रीमती पुष्पा बुनकर कोलारे
सामाजिक कार्यकर्त्ता, छिन्दवाड़ा
मोबाइल न: 9893289245