मोती की मांद में फलफूल रहा दर्जनो कारोबार

शहडोल सम्भाग का नाम आदिवासी बाहुल क्षेत्र से जोड़ा जाए तो शायद किसी को भी संशय न हो और आदिवासी समुदाय में अग्रणी पुष्पराजगढ़ जनपद क्षेत्र का नाम न हो तो भी संशय खैर यह अलग बात है कि उन आदिवासियों की स्थिति आज भी जस का तस है ,अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद क्षेत्र में तरंग गांव में मुख्यमार्ग में लगे क्रेशरों में जारी अनियमितताओं और उनमें होने वाले ब्लास्टिंग के किस्से अनूठे हैं यही हॉल मुख्यमार्ग पर लगे क्रेशर मोती नामक व्यक्ति का है जिसके द्वारा क्रेशर पर न ही उचित पैमानों का ध्यान रखा गया है न ही पुख्ता इंतेजाम।
श्रम पंजीयन और स्प्रिंकलिंग कि उच्च व्यवस्था-प्रायः क्रेशर में कार्यरत मजदूरों के सांथ कोई न कोई अप्रिय घटना घटित होती रहती है मशीन के मुहानों में पत्थर डालने वाले मजदूरों को न ही कोई सुरक्षा कवच दिया जाता है न ही उनके कोई पंजीकृत दस्तावेज तैयार किये जाते ऐसे में कई बार दुर्घटना होने पर क्रेशर संचालक द्वारा माँमले को चन्द टुकड़ो में रफा-दफा कर दिया जाता है, क्रेशर से निकले धुएं से पूरे क्षेत्र में फैलने वाले प्रदूषण का रख-रखाव के लिए नियमतः क्रेशर से निकलने वाले धुएं पर पानी का छिड़काव अनिवार्य होता है किन्तु मोती के क्रेशर में ये सारे कायदे शिथिल प्रतीत हो रहे हैं।
खदान कहीं और फेंसिंग कहीं और-क्रेशर में लगने वाले पत्थरो की खदान में भी नियमतः फेंसिंग नही किये गए हैं प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अनुरूप क्रेशर को चारों तरफ से फेंसिंग करने के साँथ-सांथ उसे वृक्षो से आच्छादित होना चाहिए किन्तु इन कायदो की धज्जियां उड़ाते हुए मोती के क्रेशर में रकवा कहीं और फेंसिंग कहीं और पत्थर कहीं और से निकाले जा रहे हैं।
और भी कारोबार से जुड़ा है मोती का नाम-पहाड़ों की वादियों में रहने वाले इस मोती के किस्से अजब-गजब है मोती का नाम न सिर्फ क्रेशर अपितु सूत्रों की माने तो उनका नाम ठेकेदारी प्रथा व डोडा से भी जुड़े हुए हैं तरह-तरह के मशीनरी उपकरणों को रखकर अवैध उत्खनन को लगातार अंजाम देना मोती के माँद के किस्से खुद बयाँ करता है।