साढ़े तीन साल से शहर की आवोहवा चल रही है खराब

विकास के नाम पर समस्या फैलाने की आदी हुई कंपनी
मुकेश चतुर्वेदी, रीवा दर्पण। संभागीय मुख्यालय रीवा को पिछले सोलह साल से भाजपा सरकार और विकास पुरुष महानगर बनाने का महाभियान चला रहे हैं। यह कैसा महानगर बनाओ महाभियान है कि रिमही जनता को सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। केंद्र सरकार के अमृत योजना के अंतर्गत सीवरेज प्रोजेक्ट का काम संभागीय मुख्यालय रीवा में पिछले साढ़े तीन साल से करवाया जा रहा है, यह काम आज भी अपनी मंजिल से कोसों दूर बना हुआ है। संभवतः पहली बार रिमही जनता ऐसा विकास देख रही है जिसके कारण घरों से निकलना तक मुश्किल हो जाता है। संभाग मुख्यालय रीवा में पिछले साढ़े तीन साल से सीवरेज प्रोजेक्ट के नाम पर सड़कों का हुलिया बद से बद्तर बनाया जा रहा है। इन दिनों रेलवे स्टेशन तिराहे से लेकर छोटी पुल तक मुख्य सड़क का एक हिस्सा विकास के नाम पर खोद दिया गया है। जहां पर सुबह से चलने वाले निर्माण कार्य की वजह से डस्ट का गुबार आसमान पर छा जाता है। इस जानलेवा डस्ट की वजह से मुख्य सड़क से आवागमन करना लोगों के लिए मुसीबत साबित होता है। एजी कालेज मोड़ से लेकर जेपी गेट तक की हालत सबसे बद्तर बनी हुई है। यहां पर सड़क का एक हिस्सा विकास के लिए बंद किया गया है और दूसरे हिस्से में सड़क के नाम पर जानलेवा गड्ढों का जाल बिछ गया है। इस हिस्से में सबसे अधिक सड़क हादसे सामने आते हैं। बाइक सवार लोगों के ऊपर हमेशा अनहोनी का खतरा बना रहता है। भाजपा की खास केके स्पंज लिमिटेड कंपनी दिल्ली ने रीवा की आवोहवा खराब कर दी है। जहां देखो वहीं रीवा शहर के अंदर डस्ट का गुबार छाया हुआ है। सीवरेज प्रोजेक्ट के नाम पर संभागीय मुख्यालय रीवा की सड़कों को चौपट करने वाली केके स्पंज लिमिटेड कंपनी के खिलाफ साढ़े तीन साल में शासन अथवा नगर निगम स्तर से किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई। यह वही बेलगाम निर्माण एजेंसी है जिसकी लापरवाही के कारण दो मजदूरों की जीवन लीला समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी कंपनी की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हुआ है।
मुख्य सड़क पर निर्माण कार्य, पानी का छिड़काव नहीं
संभागीय मुख्यालय रीवा में पिछले साढे 3 वर्ष से केंद्र सरकार के अमृत योजना अंतर्गत सीवरेज प्रोजेक्ट का काम लगभग 200 करोड़ की लागत से करवाया जा रहा है। दिसंबर 2016 में केके स्पंज कंपनी दिल्ली ने रीवा शहर में सीवरेज प्रोजेक्ट का काम शुरू किया था। 36 माह की समय अवधि शासन ने निर्धारित कर रखी थी जो पहले ही बीत चुकी है। मध्यप्रदेश शासन से केके स्पंज कंपनी ने सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए दो बार एक्सटेंशन हासिल किया है इसके बावजूद लक्ष्य अभी कोसों दूर बताया जाता है इसका मतलब अभी कुछ और दिनों तक रिमही जनता को विकास के नाम पर खून के आंसू बहाने पड़ेंगे। सूत्रों ने बताया कि आमतौर पर मुख्य सड़क में किसी भी तरह का निर्माण कार्य कराने के दौरान समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाना अति आवश्यक माना जाता है इसके बावजूद केके स्पंज कंपनी का प्रबंधन रेलवे तिराहे से लेकर छोटी पुल तक चल रहे निर्माण कार्य के बीच में पानी का छिड़काव नहीं करवाता है जिसके कारण हर समय लोगों के लिए जानलेवा डस्ट सबसे बड़ी मुसीबत साबित होती है। अभी तक इस कंपनी ने अपने रीवा शहर की जिन कॉलोनियों में सीवरेज लाइन डालने के लिए सड़कों को खोदा वहां पर डस्ट का गुबार ना उड़े इसके लिए पानी का छिड़काव कभी नहीं कराया गया। रीवा नगर निगम के अधिकारी सीवरेज प्रोजेक्ट पर काम करने वाली केके स्पंज कंपनी के प्रबंधन के सामने हमेशा मजबूर नजर आते हैं। सूत्रों ने बताया कि मूलतः पाइप बनाने वाली बहुचर्चित केके स्पंज कंपनी दिल्ली को भाजपा के आलाकमान से करीबी संबंध होने के कारण मध्य प्रदेश के कई नगर निगम क्षेत्रों में सीवरेज प्रोजेक्ट का काम दिलाया गया है। संभागीय मुख्यालय रीवा की तरह सतना नगर निगम क्षेत्र भी सीवरेज प्रोजेक्ट के नाम पर उखड़ा हुआ नजर आता है।
चोरहटा- रतहरा तक आफत, पंद्रह साल से यही विकास
संभागीय मुख्यालय रीवा में प्रायोजित विकास का डंका जमकर बजता रहा है। विंध्य प्रदेश के संभागीय मुख्यालय रीवा मे चोरहटा से रतहरा तक पहुंचने वाली पंद्रह किलोमीटर की सड़क भाजपाई विकास को बराबर आईना दिखाने का काम करती है। इस पंद्रह किलोमीटर की सड़क का निर्माण कराने के नाम पर लोक निर्माण विभाग, ठेकेदार और विकास करने वाले नेताओं ने जमकर घोटाले को अंजाम दिया है। करोड़ों रुपए खर्च हो जाने के बाद भी चोरहटा बाईपास से रतहरा बाईपास तक 15 किलोमीटर की सड़क का निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है। सरदार वल्लभ भाई बस स्टैंड से लेकर 17 तक मुख्य सड़क की दुर्गति यहां की पहचान बन कर रह गई है। जानलेवा गड्ढे के बीच आवाजाही करना लोगों के लिए खतरनाक साबित होता है। वार्ड क्रमांक 15 के निवर्तमान पार्षद अशोक पटेल इस मुख्य सड़क के घटिया निर्माण को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं इसके बावजूद निर्माण के दौरान गुणवत्ता से खिलवाड़ किया गया। बताया गया कि 15 किलोमीटर की यह सड़क लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ठेकेदारों और विकास का हल्ला मचाने वाले नेताओं के लिए दुधारू गाय बनकर रह गई है।